The best Side of bhairav kavach
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कपालकर्तृका वामे शूलं खट्वाङ्गम् दक्षिणे ॥ ८॥
रक्षाहीनन्तु यत् स्थानं वर्जितं कवचेन च
जो प्रतिदिन इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, उसे यक्षिणी, अप्सरा और विभिन्न देवी साधनाओं में सफलता मिलती है
asya vaṭukabhairavakavacasya mahākāla r̥ṣiranuṣṭupchandaḥ śrīvaṭukabhairavō dēvatā baṁ bījaṁ hrīṁ śaktirāpaduddhāraṇāyēti kīlakaṁ mama sarvābhīṣṭasiddhyarthē viniyōgaḥ
ವಕ್ಷಃಸ್ಥಲಂ ತಥಾ ಶಾಂತಃ ಕಾಮಚಾರೀ ಸ್ತನಂ ಮಮ
उदरं च स मे तुष्टः क्षेत्रेशः पार्श्वतस्तथा
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
अष्टक्षरो महा मन्त्रः सर्वाशापरिपूरकः ।
वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।
more info ॐ ह्रीं दण्डपाणिर्गुह्यमूले भैरवीसहितस्तथा ।
ई.डी, सी.बी.आई, सी.आई.डी जैसे यदि बुरे केस हो तो, अवश्य ही अपराजिता स्तोत्र और भैरव कवच का पाठ करें।
योऽपरागे प्रदाता वै तस्य स्यादतिसत्वरम् ॥ ३१॥
गोपनीयं प्रयत्नेन तत्त्वात् तत्त्वं परात्परम् ।